ISSN (Print) - 0012-9976 | ISSN (Online) - 2349-8846

राष्ट्रीयता का चुनाव

कैटालोनिया का संकट दूसरे देशों के लिए भी कई सबक दे रहा है

 

The translations of EPW Editorials have been made possible by a generous grant from the H T Parekh Foundation, Mumbai. The translations of English-language Editorials into other languages spoken in India is an attempt to engage with a wider, more diverse audience. In case of any discrepancy in the translation, the English-language original will prevail.

यूरोप में राष्ट्रीयता के सवालों के बारे में माना जाता है कि वे अब तक मुकाम पर पहुंच गए हैं. लेकिन सच्चाई यह है कि इस वजब से अब भी संघर्ष और हिंसा हो रही है. खास तौर पर उन क्षेत्रों में जो यूरोप के उपनिवेश रहे हैं. स्पेन के कैटालोनिया में राष्ट्रीयता को लेकर संघर्ष चल रहा है.

स्पेन के संवैधानिक कोर्ट के फैसले का न मानते हुए कैटालोनिया में 1 अक्टूबर, 2017 को जनमत सर्वेक्षण हुआ. इसे रोकने के लिए स्पेन की पुलिस ने लोगों पर हमले किए. सैंकड़ो लोग घायल हुए. इसके बावजूद 42.3 फीसदी लोग वोट डालने आए और इनमें से 90.9 फीसदी लोगों ने स्पेन से अलग होने के पक्ष में मतदान किए. इसके उलट कुछ लोग कैटालोनिया में ऐसे भी हैं जो आजादी का विरोध कर रहे हैं और इन लोगों ने जनमत सर्वेक्षण का बहिष्कार किया. 

आत्मनिर्णय के लिए कैटालोनिया के संघर्ष को काफी दमन का सामना करना पड़ा है. फ्रांसिस्को फ्रांको की सरकार ने कैटालन भाषा पर रोक लगाई. यहां तक की इस भाषा के नाम रखने पर भी पाबंदी लगा दी. लेकिन इन प्रतिबंधों से लोगों में प्रतिरोध पैदा हुआ. वे सांस्कृतिक तौर पर और करीब आए. यह सच है कि फ्रांको के शासनकाल में कैटालोनिया में काफी आर्थिक प्रगति हुई. इससे वहां के राष्ट्रवादियों को आत्मविश्वास मिला है. लेकिन यह कहना भी गलत है कैटालोनिया को अलग करने की मांग वहां के लोगों की उस सोच से प्रेरित है कि वे इस क्षेत्र के विकास के आर्थिक फायदों को स्पेन के बाकी हिस्सों के साथ नहीं साझा करना चाहते. स्पेन को यह मालूम है कि कैटालोनिया के अलग होने से उसे भारी आर्थिक नुकसान होगा. दूसरे यूरोपीय देशों को लगता है कि अगर ऐसा हुआ तो इस तरह की मांगें दूसरी जगहों से भी उठेंगी.

स्पेन की अदालत ने जनमत सर्वेक्षण को इसलिए अवैध करार दिया क्योंकि संविधान के तहत सिर्फ राष्ट्रीय सरकार को ही जनमत सर्वेक्षण कराने का अधिकार है. लेकिन इस निर्णय की चालाकी को इसी बात से समझा जा सकता है कि कोई भी राष्ट्रीय सरकार राष्ट्र में टूट की आशंका को हकीकत में बदल देने वाला जनमत सर्वेक्षण कभी नहीं कराएगी.

राष्ट्रीय सरकारों द्वारा कराए गए सारे जनमत सर्वेक्षण सही ही नहीं होते. ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने का उदाहरण सबके सामने है. यहां एक दक्षिणपंथी सरकार ने जनमत सर्वेक्षण कराया लेकिन ऐसा माहौल बना कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने का निर्णय लोगों ने दिया. इसके बाद सरकार ने बगैर संसद की मंजूरी के अलग होने का निर्णय ले लिया. इसे पूरे यूरोप में सही कहा जा रहा है. लेकिन कैटालोनिया में कई जनमत सर्वेक्षणों के बावजूद इनमें से एक भी सर्वेक्षण को सही नहीं माना जा रहा.

कैटालोनिया के जनमत सर्वेक्षण के बाद से वहां कई चीजें हो रही हैं. कैटालोनिया की संसद ने आजादी घोषणापत्र जारी कर दिया है. लेकिन राष्ट्रपति ने स्पेन प्रशासन से बातचीत को देखते हुए इसे क्रियान्वयन को स्थगित कर दिया है. स्पेन के प्रधानमंत्री बातचीत से इनकार कर रहे हैं और संविधान के अनुच्छेद-155 के तहत स्थानीय सरकार को बर्खास्त करने की धमकी दे रहे हैं. अगर परिपक्वता और संवेदनशीलता के साथ मामले से नहीं निपटा गया तो समस्या और गंभीर होगी. यूरोपीय संघ अपना पल्ला नहीं झाड़ सकता. उसे इस मामले में दखल देकर समाधान की कोशिशें करनी चाहिए. 

कैटालोनिया के संकट में भारत जैसे देशों के लिए भी सबक है. यह समझना होगा कि राष्ट्रीयता की किसी मांग का दमन उसका समाधान नहीं है. यूरोप में सदियों की कोशिशों के बावजूद यह नहीं हो पाया. दूसरी जगह भी यह नहीं हो पाएगा. जब तक राष्ट्रीयता आधुनिक राष्ट्रों की विचारधारा को परिभाषित करती रहेगी तब तक देशों को अपने यहां राष्ट्रीयता के सवालों से राजनीतिक तौर पर जूझना पड़ेगा. इससे कानून व्यवस्था का विषय समझना भूल होगी.

Dear Reader,

To continue reading, become a subscriber.

Explore our attractive subscription offers.

Click here

Or

To gain instant access to this article (download).

Pay INR 50.00

(Readers in India)

Pay $ 6.00

(Readers outside India)

Updated On : 13th Nov, 2017
Back to Top